टचस्क्रीनों से पटा ये डिब्बा
नज़रें नहीं मिलाता
अपने अपने जग में डूबी
आंखें नहीं उठाता
नज़रें नहीं मिलाता
अपने अपने जग में डूबी
आंखें नहीं उठाता
कुछ के हाथ में फ़ोन है अपना
पर नज़रें हैं भटकीं
पराये स्क्रीन पे चलती फिल्म में
इनकी सांस है अटकी
पर नज़रें हैं भटकीं
पराये स्क्रीन पे चलती फिल्म में
इनकी सांस है अटकी
यह भी ख़ूब कि अपना मॉडल
क्यों न किसी को भाये,
क़ीमत और औक़ात में काहे
फर्क़ समझ ना आये
क्यों न किसी को भाये,
क़ीमत और औक़ात में काहे
फर्क़ समझ ना आये
फर्ज़ी गेम में दौड़-भाग कर
जितने सिक्के बटोरे
उतने भिखारी बगल से गुज़रे
लेकर ख़ाली कटोरे
जितने सिक्के बटोरे
उतने भिखारी बगल से गुज़रे
लेकर ख़ाली कटोरे
चैट की चौपाल में चलता
घंटों तक 'तियापा
देख न पाये सीट की आस में
कब से खड़ा बुढ़ापा
घंटों तक 'तियापा
देख न पाये सीट की आस में
कब से खड़ा बुढ़ापा
बात का ज़रिया बात की ही
जड़ पे है यूं बन आया,
टचस्क्रीनवालों का ये मजमा
दिल को न टच कर पाया
जड़ पे है यूं बन आया,
टचस्क्रीनवालों का ये मजमा
दिल को न टच कर पाया
Written on my Samsung phone.
1 comment:
खुप मस्त..!!
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